ब्राह्मणो का क्रोध -कुलधरा
ब्राह्मणों के क्रोध कुलधरा के 85 गांव आज भी वीरान हैं
कुलधरा - ब्राह्मणों के क्रोध का प्रतीक जहां आज भी लोग जाने से डरते हैं।
राजस्थान के जैसलमेर शहर से 18 किमी दूर स्थित कुलधरा गांव आज से 500 साल पहले 600 घरों और 85 गांवों का पालीवाल ब्राह्मणों का साम्राज्य ऐसा राज्य था जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है
रेगिस्तान के बंजर धोरों में पानी नहीं मिलता वहां पालीवाल ब्राह्मणों ने ऐसा चमत्कार किया जो इंसानी दिमाग से बहुत परे की बात थी
उन्होंने जमीन पे उपलब्ध पानी का प्रयोग नहीं किया,न बारिश के पानी को संग्रहित किया बल्कि रेगिस्तान के मिटटी में मोजूद पानी के कण को खोजा और अपने गांव जिप्सम की सतह के ऊपर बनाया।उन्होंने उस समय जिप्सम की जमीन खोजी ताकि बारिश का पानी जमीन सोखे नहीं।
और आवाज के लिए गांव ऐसा बंसाया की दूर से अगर दुश्मन आये तो उसकी आवाज उससे 4 गुना पहले गांव के भीतर आ जाती थी.
हर घर के बीच में आवाज का ऐसा मेल था जेसे आज के समय में टेलीफोन होते हैं
जैसलमेर के दीवान और राजा को ये बात हजम नहीं हुई की ब्राह्मण इतने आधुनिक तरीके से खेती करके अपना जीवन यापन कर सकते हैं तो उन्होंने खेती पर कर लगा दिया पर पालीवाल ब्राह्मणों ने कर देने से मना कर दिया।
उसके बाद दीवान सलीम सिंह ने बदले की आग में भृष्ट हो एक ब्राह्मणी कुलधरा के मुखिया की बेटी से विवाह करने की जिद ठानी मर्जी से या जबरदस्ती से और कहा या तो बेटी को दे दो या सजा भुगतने के लिए तैयार रहें।
ब्राह्मणों को अपने आत्मसम्मान से समझौता बिल्कुल बर्दास्त नहीं था।इसलिए रातो रात 85 गांवों की एक महापंचायत बैठी और निर्णय हुआ कि रातो रात कुलधरा खाली करके वो चले जायेंगे।
रातो रात 85 गाव के ब्राह्मण कहां गए कैसे गए और कब गए इस बात का पता आजतक नहीं लगा पर जाते जाते ब्राह्मण शाप दे गए कि ये कुलधरा हमेशा वीरान रहेगा ब्राह्मणो की इस भूमि पे कोई फिर से आके नहीं बस पायेगा और जो बसने की कोसिस करेगा उसे भयंकर परिणाम भुगतने होंगे
आज भी जैसलमेर में जो तापमान रहता है गर्मी हो या सर्दी,कुलधरा गांव में आते ही तापमान में 4 डिग्री की बढ़ोतरी हो जाती हे। वैज्ञानिकों की टीम जब कुलधारा पहुंची तो उनके मशीनो में आवाज और तरंगों की रिकॉर्डिंग हुई जिससे ये पता चलता है कि कुलधरा में आज भी कुछ शक्तिया मौजूद हैं जो इस गांव में किसी को रहने नहीं देती।मशीनो में रिकॉर्ड तरंग ये बताती है कि वहां मोजूद शक्तिया कुछ संकेत देती हैं।
आज भी कुलधरा गांव की सीमा में आते ही मोबाइल नेटवर्क और रेडियो काम करना बंद कर देते हैं पर जैसे ही गांव की सीमा से बाहर आते हैं मोबाइल और रेडियो शुरू हो जाते हैं।
आज ये रेत से ढकी खंडहर गांव ब्राह्मणो के गौरव शाली इतिहास और उनके ब्रह्मतेज का प्रतीक है
आज भी कुलधरा शाम होते ही खाली हो जाता है और कोई इन्सान वहां जाने की हिम्मत नहीं करता।जैसलमेर जब भी जाना हो तो कुलधरा जरुर जाएं।
ब्राह्मण सदा विजयते ।
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